एम विश्वेश्वरैया का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था. उनको देश के पहले सिविल इंजीनियर के तौर पर जाना जाता है
एम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन की तारीख को ही राष्ट्रीय इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है.
देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन की तारीख को इंजीनियर्स डे के तौर पर चुना गया
राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस 2023 की थीम 'Engineering for a Sustainable Future' यानी कि 'सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग' तय की गयी है.
एमवी शिक्षा की अहमियत को अच्छी तरह से समझते थे. वे गरीबी का बहुत बड़ा कारण अशिक्षा को मानते थे.
मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
एम विश्वेश्वरैया के इस योगदान को देखते हुए आजादी के बाद साल 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
एक बार, जब किसी ने उनसे इसका राज पूछा कि वे इतने सक्रिय कैसे रहते हैं, तो विश्वेश्वरैया ने जवाब दिया कि जब कभी भी बुढ़ापा मेरे द्वार पर आता है, तो मैं कह देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं हैं। इससे बुढ़ापा निराश हो जाता है और मुझसे कभी मिलावट नहीं होती।